लेखनी प्रतियोगिता -08-Aug-2022
कुछ तुम बोलो
कुछ मैं बोलूं
ये बात जरा आगे तो चले
कुछ तुम देखो
कुछ मैं देखूं
ये रात यूं ही आगे को चले
कल बातें होंगी
रातें होंगी
लेकिन शायद हम न हों
ये वक्त नहीं है
कुदरत की
फरमाइश है बस कम न हो।
जो तुमने देखा
मैंने समझा
मैंने देखा तुम्हें पता
मैं जितना हूँ
उतना तुम हूँ
ये बात भी बस
तुमको ही पता
आओ बैठो
अपने हिस्से का वक्त जियें
तुम मुझे पढ़ो
मैं तुम्हे लिखूं
फिर चल निकलें
बस याद लिए
MR SID
10-Aug-2022 08:48 AM
Nice
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Anshumandwivedi426
10-Aug-2022 12:27 PM
Thanks
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Gunjan Kamal
09-Aug-2022 09:30 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Anshumandwivedi426
10-Aug-2022 07:10 AM
कोटिशः धन्यवाद
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Sachin dev
09-Aug-2022 06:21 PM
Very nice
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Anshumandwivedi426
09-Aug-2022 09:08 PM
Thanks
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